2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से ईडी के 95% मामले विपक्षी नेताओं के खिलाफ़ दर्ज किए गए। बीते साल ‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने बताया कि पिछले आठ सालों में विपक्षी नेताओं के ख़िलाफ़ ईडी के मामले चार गुना बढ़े हैं. साल 2014 से 2022 के बीच 121 बड़े राजनेताओं से जुड़े मामलों की जाँच ईडी कर रही है,

इनमें से 115 नेता विपक्षी पार्टियों से हैं यानी 95 फ़ीसदी मामले विपक्षी नेताओं के ख़िलाफ़ हैं।

अब इसकी तुलना यूपीए के समय से करें तो 2004 से लेकर 2014 के दस सालों में 26 नेताओं की जाँच ईडी ने की इनमें से 14 नेता विपक्षी पार्टियों के थे।

बीते कुछ महीनों से बार-बार ये बात विपक्ष और एक तबका दोहरा रहा है कि केंद्रीय एजेंसियों को मोदी सरकार विपक्ष को ‘काबू’ में करने के लिए इस्तेमाल कर रही है।

बीबीसी ने साल 2023 में ऐसे ही कुछ मामलों को बारीक़ी से समझा, जानकारी जुटाई और ये भी समझना चाहा कि क्या बीते नौ सालों में ईडी और सीबीआई का इस्तेमाल राजनीतिक विरोधियों के ख़िलाफ़ किया गया।

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