पाटीदार आरक्षण आंदोलन से उभरे नेता हार्दिक पटेल ने बुधवार को कांग्रेस की गुजरात इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष पद और पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।पटेल 2019 में कांग्रेस में शामिल हुए थे।पार्टी छोड़ने से पहले कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे एक पत्र में उन्होंने दावा किया कि पार्टी ने देश में कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर केवल ‘‘ एक अवरोधक की भूमिका निभाई ’’ है और उसने ‘‘ हर चीज का महज विरोध ही किया है।’’पटेल ने बिना कोई नाम लिए कहा कि उन्होंने जब भी गुजरात के लोगों के हितों से जुड़े मुद्दे उठाये, तब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता फोन पर अपने संदेश देखने में मसरूफ होते और कुछ नेता जब पार्टी और देश को उनकी जरूरत होती तब ‘‘विदेश में मजे कर रहे होते।’’पटेल ने बुधवार को ट्वीट किया, ‘‘ आज मैं हिम्मत करके कांग्रेस पार्टी के पद और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं। मुझे विश्वास है कि मेरे इस निर्णय का मेरा हर साथी और गुजरात की जनता स्वागत करेगी।’’हार्दिक ने कहा, ‘‘ मैं मानता हूं कि मेरे इस कदम के बाद, मैं भविष्य में गुजरात के लिए सच में सकारात्मक रूप से कार्य कर पाऊंगा।’’सोनिया गांधी को लिखे पत्र में पटेल ने दावा किया कि कांग्रेस को सही दिशा में ले जाने के कई प्रयासों के बावजूद पार्टी लगातार ‘मेरे देश और समाज के हितों के खिलाफ काम कर रही है।

‘उन्होंने पत्र में कहा, ‘‘ इसलिए मैं कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं…पिछले तीन साल में, मैंने पाया है कि केन्द्र और राज्य स्तर पर कांग्रेस नेतृत्व महज हर चीज़ का विरोध कर रहा है।’’उन्होंने कहा, ‘‘ चाहे, अयोध्या में राम मंदिर हो, जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाना, जीएसटी लागू करना, भारत लंबे समय से इन मुद्दों का समाधान चाहता था और कांग्रेस ने केवल एक अवरोधक की भूमिका निभाई है।’’उन्होंने कहा कि जब भारत, गुजरात और पाटीदार समुदाय से जुड़े मुद्दों की बात आई, तब भी कांग्रेस का एकमात्र रुख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा किए गए कार्यों का विरोध करना था।पटेल ने कहा, ‘‘ कांग्रेस को आज भारत के अधिकतर राज्यों की जनता ने नकार दिया है, क्योंकि पार्टी और उसका नेतृत्व लोगों के समक्ष एक बुनियादी खाका पेश नहीं कर पाया है।’’हार्दिक ने दावा किया कि जब भी उन्होंने लोगों से जुड़े गंभीर मुद्दों पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से सम्पर्क किया, तो वे अपने मोबाइल फोन पर संदेश देखने में व्यस्त रहे।उन्होंने पत्र में कहा, ‘‘ किसी भी मुद्दे को गंभीरता से ना लेना, पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व की सबसे बड़ी समस्या है। जब भी मैं वरिष्ठ नेताओं से मिला, मुझे हमेशा यही लगा कि उन्हें गुजरात के लोगों की समस्याएं सुनने में कोई रुचि नहीं है, जबकि उन्हें फोन पर आए संदेश देखने और अन्य तुच्छ चीजों में अधिक रुचि थी।’’राहुल गांधी की विदेश यात्राओं पर तंज कसते हुए पटेल ने कहा, ‘‘ जब भी हमारा देश परेशानियों का सामना कर रहा होता है और कांग्रेस को नेतृत्व की जरूरत होती है, तो पार्टी के नेता विदेश में मजे कर रहे होते हैं।’’उन्होंने यह भी दावा किया कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुजरात से नफरत करते हैं। पटेल ने कहा, ‘‘ वरिष्ठ नेता ऐसे बर्ताव करते हैं, जैसे वे गुजरात और गुजरातियों से नफरत करते हों। कांग्रेस कैसे गुजरात के लोगों से अपेक्षा करती है कि वे उन्हें हमारे राज्य का नेतृत्व करने के एक विकल्प के रूप में देखें?’’पाटीदार नेता ने कहा, ‘‘ जब भी मैं युवाओं के बीच जाता हूं, मुझसे हमेशा पूछा जाता है कि मैं उस पार्टी में क्यों हूं, जिसने लगातार गुजरातियों का अपमान किया, चाहे वह उद्योग क्षेत्र में हो, धर्म के मामले में हो या राजनीति में…गुजराती कभी नहीं भूल सकते कि कैसे कांग्रेस ने सरदार वल्लभ भाई पटेल का अपमान किया।’’उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि गुजरात कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राज्य के मुद्दों से अवगत नहीं हैं और इस बात पर अधिक ध्यान देते हैं कि ‘‘दिल्ली से आने वाले नेताओं को ‘चिकन सैंडविच’ समय पर मिल जाए।’’राज्य में पाटीदार समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर हुए आंदोलन का नेतृत्व करने के बाद 2015 में हार्दिक पटेल चर्चा में आए थे। हार्दिक, जुलाई 2020 से गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष थे।

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