सोशल मीड़िया पर आए दिन महिलाओं पर बेवफाई वाली विड़ियों ट्रेंड करती ही रहती हैं जिन पर लोग अच्छे बूरे कॉमेंट भी करते हैं. आज कल भी कुछ ऐसा ही एक केस समाचार की सुर्खियां बटोर रहा हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं पीसीएस अधिकारी ज्योति मौर्या और उनके पति आलोक मौर्या केस के बारे में। मीड़िया में चल रही खबरों की माने तो पद मिलने के बाद महिला अपने पति के त्याग और संघर्ष को भुलते हुए किसी गैर मर्द से संबंध बनाने और अपने पति पर घरेलु हिंसा की शिकायते दर्ज कराते हुए, तलाक लेने की बात कही। इनके केस में हर रोज़ मीडिया में ऩए नए तथ्य सामने आए। ऐसे ऑडियो क्लिप भी सामने आ चुके हैं जिसमें कथित तौर पर ज्योति मौर्या अपने पति आलोक से छुटकारा पाने के लिए बेहद आपत्तिजनक गैर कानूनी रास्ता अपनाने की बात कहते हुए सुनी गई। हालांकि इस पर कुछ कहा नहीं जा सकता की जो एविडेंस खबरो में दिखाए गए वो कितने सच्चे हैं और कितना झूठे। लेकिन ये सरी घटनाएं महिलओं की पढ़ाई के खिलाफ जरूर एक महौल बना दिया। जिससे औरतों के शिक्षित होने के रास्ते में रूकावटे तो जरूर पैदा होगीं।

‘ कभी कभी लोग अपने स्वार्थ में आकर ऐसी गलती कर जाते हैं जो दूसरों की तरक्की का रास्ता भी बंद कर देते हैं ऐसा ही कुछ ज्योति मौर्या के केस में कहा जा सकता हैं, उनका केस जैसे मीड़िया में आया वैसे ही हर किसी के बीच विवाद का मुख्य कराण बन गया ओर जिसके बाद हर कोई इस तरह के मुद्दों पर विचार करते हुए महिलाओं के शिक्षा पर ही उंगली उठाते हुए दिखाई दिया, लेकिन जरा सोचिए की एक की करनी के लिए समस्त महिला जाति को कठघड़े में खड़ा करना क्या सही हैं, अगर नहीं तो फिर बिहार के एक कोचिंग सेंटर से लगभग 93 महिलाओं के पतियों ने प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही अपनी पत्नियों की तैयारी छुड़वा कर वापस घर ले जाना, सही कैसे हो सकता हैं। इसका जवाब कम से कम शब्दों में दिया जाए तो हमारे समाज का पितृसत्तात्मक होना कहा जा सकता हैं जहां मर्दों को औरतों की तुलना हमेशा से ही ज्यादा श्रेष्ठ समझा जाता रहा हैं। और उस पर इस तरह की घटनाएं आग में घी का काम करते हुए समाज में नारी के विरूध माहौल बनाने में बड़ी भूमिका निभाती हैं। नारी की सामाजिक, शैक्षिक या फिर राजनैतिक स्थिति पर बात अगर इतिहास की करे तो उत्तरवैदिक काल से ही स्त्री की स्थिति कोई खास अच्छी नही रही हैं। स्त्री पर अनगिनत अंकुश लगाए गए। मध्यकाल तक आते-आते स्त्री की स्थिति दयनीय हो चुकी थी उन्हें शिक्षा से दूर ही कर दिया गया और तो और स्त्री को केवल पति घर और बच्चे पैदा करने और संभालने वाली समझा जाने लगा था। कुछ बची हुई कसर विदेशियों द्वारा किये गए भारत पर आक्रमणों ने पूरी कर दी, जिसके बाद तो महिलाओं को घरों में कैद ही कर दिया गाया। क्योकि किसी भी आक्रमण में सर्वाधिक शोषण हमेशा से महिलाओं का ही होता रहा हें। इसी तरह 19वी शताब्दी तक महिलाओं को प्रदा प्रथा, सती प्रथा, आदि रितिरिवाजों नें स्त्री को घेर लिया था।

महिलाओं को शिक्षा से वंचित, मात्र भोग की वस्तु के रूप में बदल चुकी दशा में सुधार करने की नई शुरूआत आधुनिक काल से शुरू की गई, जिसके बाद अनगिनत प्रयासों और आंदोलनों के बाद महिलाओं ने अपने अधिकारों को जाना और अपने अधिकारों को हासिल करने के लिए संघर्ष कियें जिसके बाद अनेकों नए अवसरों का रास्ता खुला। वर्तमान में महिला अपनी बेहतरी की ओर बढ़ रही है। महिलायें घरों से बाहर निकल कर, पढ़ लिखकर निजी क्षेत्र से लेकर सरकारी सभी क्षेत्रों में नौकरियां कर रही हैं। लेकिन आज भी कुछ क्षेत्र हैं जहां स्त्री को भेद-भाव का सामना करना पड़ता है। चाहे फिर वो स्पोर्टस हो या फिल्म जगत या कोई अन्य जहां कई बार पुरूषों की तुलना में महिलाओं को वो सम्मान नहीं मिलाता जो पूरुषों को मिलता हैं। उदाहरण के तौर पर क्रिकेट, होकी या फिर फिल्म उद्योग का नाम लिया जा सकता हैं जहां पुरुष सितारों की फीस कि तुलना में महिलाओं की फीस काफी कम तो होती हैं और कई बार तो उनकी भूमिका केवल मनोरंजन करने तक ही सीमित कर दी जाती हैं।

प्रक्रति चक्र को संतुलित रखने के लिए स्त्री और पुरूष दोनों का एक समान होना चरूरी होता हैं यदि इस चक्र का एक भी पहिया लड़खड़या, वहीं गाड़ी समान जीवन भी ड़गमगाने लगता हैं इसीलिए समाज में दोनों के समान अधिकार और कर्तव्यों के साथ रहना ही एक सभ्य समाज के साथ-साथ संतुलित समाज की परिभाषा कहीं जा सकती हैं। अगर मैं ज्योति मौर्या और उनके पति के मीड़िय़ा में चल रहे केस की बात करू तो उनके केस में तिल का ताड़ इसीलिए बनाया गया, क्योकि महिला एक उच्च अधिकारी हैं और पुरुष एक चौथी श्रेणी का कर्मचारी है। अगर इस मुद्दे पर मैं अपनी राय दूँ तो पति का अपनी पत्नी की काबिलियत तो देखते हुए उसे पढाना सही हैं लेकिन पत्नी का अपने पति त्याग और मेहनत के बारे में थोड़ा विचार करना चाहिए था, साथ ही आलोक को भी पत्नी के मान समान को बनाए रखते हुए अपना वैवाहिक जीवन बेहतर करने के लिए खुद की भी थोड़ा अपग्रेड़ करना चाहिये था। ताकि उनकी लाईफ में आज जो कुछ भी हो रहा हैं उसे रोका जा सकता।

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