मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार जगमोहन सिंह के मुताबिक़, ये पहली बार नहीं हैं कि मदरसों में योग कराया जा रहा है और पहले भी ज़िला स्तर पर ऐसा हो चुका है. लेकिन इस बार पूरे प्रदेश में योग करने का मदरसा बोर्ड ने आदेश जारी किया है.वो कहते हैं, “योग भारत का पूरी दुनिया को उपहार है तो इससे हमारे ही समाज के कुछ लोग वंचित रहें ये उचित नहीं है. मदरसों में भी योग होता है जैसे एक हफ़्ते से हम करा रहे थे. इससे प्रैक्टिस हो गई है. इसे आगे भी हम जारी रखेंगे. उनका मानसिक विकास होगा, शरीर स्वस्थ रहेगा तो उन्हें पूरी क्षमता से काम करने और पढ़ाई करने में मदद मिलेगी.”मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को मिलने वाले फ़ायदों के बारे में वो कहते हैं, “ये उनके लिए बेहतर रहेगा और जब वो पूरी क्षमता से काम करेंगे तो समाज में जो अपना रोल है वो उसे बेहतर तरीक़े से निभा सकेंगे.”

जगमोहन सिंह ने बताया, “हमारा मक़सद ये है कि इतनी बड़ी आबादी अगर देश के विकास में सहयोग करेगी तब जो वो लक्ष्य है सरकार के और भारत सरकार के उन्हें हम हासिल कर सकेंगे. योग दिवस पर ही नहीं बाक़ी के दिनों के लिए भी हम एक आदेश जारी कर रहे हैं कि ये मदरसों में छात्रों की एक्टिविटी का एक पार्ट बने.”

क्या पसंद आया छात्रों को योग?

लखनऊ के मदरसा अल फ़िरदोस रहमानी में भी सुबह-सुबह छात्रों और शिक्षकों ने योग किया.

मदरसे में 12वीं की पढ़ाई कर रहे छात्र मोहम्मद एहतेशाम कहते हैं, “मदरसे में योग टीचर रेगुलर आने चाहिए. योग हम लोगों के लिए बहुत ज़रूरी है. इससे हम लोगों को पढ़ाई में बहुत सारे फ़ायदे होते हैं. इससे हम लोगों के जिस्म में हर पार्ट एक्टिव रहता है. हम लोगों के दिमाग़ की नसें खुली रहती हैं, पढ़ाई में काफ़ी अच्छा महसूस होता है. हम लोगों को योग के बाद रिलैक्स फ़ील होता है, सुकून मिलता है.”

मदरसे के छात्र अब्दुल मुईद का कहना है, “हमारे पैग़ंबर (हज़रत मोहम्मद) ने हमको तालीम भी दी है इसकी. क्योंकि उन्होंने कहा है, एक कमज़ोर मोमिन से बेहतर है ताक़तवर मोमिन और उन्होंने इस पर बहुत ज़्यादा ध्यान भी दिया है कि हम लोग सुबह उठकर वर्ज़िश करें. और इसलिए हम लोग दिलचस्पी के साथ इसको करना भी चाहते हैं.”

मदरसे के छात्र मोहम्मद अख़्तर का कहना है कि वो नए-नए योग सीख रहे हैं. उन्होंने बताया, “जब से सरकार ने आदेश दिया है तब से वो सीख रहे हैं. लोग (टीचर) सिखाते भी हैं और अच्छा भी लगता है.”

योग में कई सारे आसान होते हैं, लेकिन एक हफ़्ते से योग कर रहे इन छात्रों को अभी सभी आसनों की जानकारी नहीं है.

सरकार की इस आदेश के बारे में मदरसे के प्रिंसिपल का कहना है, “पहले भी इस तारीख़ में समय-समय पर हिदायत आती थी, लेकिन इस मर्तबा तक़रीबन पूरे हफ़्ते के लिए ये हिदायत थी कि पूरे हफ़्ते मदरसे में योग कराया जाए. दूसरे खेल कूद में दिलचस्पी के साथ-साथ हमारे छात्रों ने इसको पसंद किया और ये प्रोगाम उनके शौक़ के हिसाब से किया गया. एक टीचर का भी इंतज़ाम किया गया है. कल से टीचर आएंगे और एक महीने तक छात्रों को सिखाएंगे.”

क्या है मुस्लिम धर्मगुरुओं की राय?

मदरसों में योग कराये जाने के बारे में लखनऊ स्थित दारुल-उलूम फ़िरंगी मेहली के प्रवक्ता मौलाना सुफ़ियान निज़ामी का कहना है कि मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों की सेहत और फ़िटनेस के लिए जो चीज़ें हो सकती हैं, उस पर कोई एतराज़ नहीं होना चाहिए.

वो कहते हैं, “योग अगर महज़ एक जिस्मानी वर्ज़िश के तौर पर लिया जा रहा है और उसमें कोई भी मज़हबी उच्चारण और धार्मिक उच्चारण नहीं किया जा रहा है तो उस पर किसी भी मदरसे को एतराज़ नहीं होना चाहिए. हालांकि कभी-कभी देखा गया है कि योग के अंदर कुछ मज़हबी उच्चारण या धार्मिक चीज़ें दाख़िल करने की कोशिश की जाती हैं तो उस तरीक़े का विरोध करते हैं.”

मदरसों में योग सिखाने के लिए ख़ास सरकारी आदेश के बारे में मौलाना सुफ़ियान निज़ामी कहते हैं, “सारी चीज़ें मदरसों के साथ-साथ बाक़ी स्कूलों के बच्चों के लिए हों तो और भी ज़्यादा बेहतर है. केवल मदरसों के बच्चों को ही नहीं तमाम लोगों को योग के इस अमल में शामिल कराना चाहिए.”

शिया धर्मगुरु याशूब अब्बास मदरसों में योग को एक सियासी दख़ल नहीं मानते हैं. वो कहते हैं, “योग करने से कोई हर्ज नहीं है. योग का मज़हब से कोई ताल्लुक़ नहीं है. योग का ताल्लुक़ सिर्फ़ और सिर्फ़ सेहत से है. लिहाज़ा हिंदुस्तान के अंदर योग एक अरसे दराज़ से होता रहा है. हर चीज़ को सियासत की नज़र से नहीं देखना चाहिए.”

मदरसों के लिए क्या है योगी सरकार की योजनाएं?

उत्तर प्रदेश में 16 हज़ार से अधिक मदरसे हैं, जिनमें से 558 मदरसे ऐसे हैं जिनको सरकारी सहायता मिलती है और जिनका वेतन यूपी सरकार देती है. सात हज़ार मदरसे ऐसे हैं जिनमें तीन टीचर का वेतन भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार मिल के मानदेय के रूप में देती है.

शेष बचे मदरसे सिर्फ़ मान्यता प्राप्त हैं, उनको सीधे कोई धनराशि नहीं दी जाती है. लेकिन जो पढ़ने वाले बच्चे हैं उनके सर्टिफ़िकेट मान्य होते हैं और अगर वो स्कॉलरशिप वग़ैरह का लाभ लेना चाहते हैं तो उनके सर्टिफ़िकेट मान्य हैं.

उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार जगमोहन सिंह के मुताबिक़ शिक्षा में मॉडर्नाइज़ेशन के लिए बोर्ड ने 2018 से एनसीआरटी का सिलेबस जोड़ा है जिसमें जनरल विषय जैसे हिंदी, इंग्लिश, गणित, साइंस और सोशल साइंस शामिल हैं. दीनियात यानी इस्लाम धर्म की शिक्षा का जो विषय है, उसको एक सब्जेक्ट के रूप में सीमित किया गया है.

मदरसों के लिए शिक्षकों की भर्ती भी उत्तर प्रदेश सरकार अब नए तरीक़े से करने जा रही हैं.

रजिस्ट्रार जगमोहन सिंह कहते हैं, “अब मदरसों में भी सामान्य ट्रेंड (प्रशिक्षित) टीचर की 80 प्रतिशत भर्ती होगी. दीनियात के लिए, अरबी फ़ारसी के लिए, केवल 20 प्रतिशत शिक्षक रहेंगे. 80 प्रतिशत जनरल सब्जेक्ट के टीचर होंगे. दो साइंस बैकग्राउंड के टीचर होंगे, दो आर्ट बैकग्राउंड के होंगे और एक टीचर अरबी फ़ारसी के हिसाब से होगा. वैसे ही आठवीं क्लास में तीन टीचर होते हैं तो एक अरबी फ़ारसी का होगा बाक़ी दो सामान्य सब्जेक्ट के टीचर होंगे. ऐसे ही हाई स्कूल के चार शिक्षक होते हैं तो एक टीचर अरबी फ़ारसी के लिए होगा. बाक़ी तीन टीचर सामान्य सब्जेक्ट के लिए होंगे.”

मदरसा बोर्ड के मुताबिक़ जिन ट्रेंड (प्रशिक्षित) टीचर्स की भर्ती होगी उसमें बीएससी बीएड, एमएसएसी बीएड, बीए बीएड, एमए, बीएड के साथ यूपी टेट और सीटेट क्वॉलिफ़िइड होंगे. सरकार का कहना है कि ये नियमावली मदरसों के लिए लागू करने में उसे क़रीब छह महीने लग जाएंगे.

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