सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने बताया है कि स्वास्थ्य मंत्रालय के कोविड-19 टीकाकरण निर्देशों में किसी की सहमति के बिना उसका जबरन टीकाकरण कराने की बात नहीं की गई है। कोर्ट में दाखिल एक हलफनामे में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि भारत का टीकाकरण दुनिया में सबसे बड़ा कार्यक्रम है और 11 जनवरी 2022 तक टीके की कुल 1,52,95,43,602 खुराक दी जा चुकी हैं।

हलफनामे के अनुसार देश में 90.84 प्रतिशत को टीके की पहली और 61 प्रतिशत आबादी को दूसरी डोज़ लग चुकी है। हलफनामे में कहा गया है, ‘इसके अलावा, दिव्यांग व्यक्तियों को कुल 23,768 खुराक दी गई हैं, जिन्होंने टीकाकरण के समय पंजीकरण के लिए अपने विशिष्ट दिव्यांगता पहचान-पत्र/ दिव्यांगता प्रमाण पत्र का उपयोग करके स्वेच्छा से इस तरह की पहचान के लिए चुना है।’

स्वास्थ्य मंत्रालय के हलफनामे में कहा गया है, ‘भारत सरकार तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देश संबंधित व्यक्ति की सहमति प्राप्त किए बिना जबरन टीकाकरण की बात नहीं कहते।’ इसमें कहा गया, ‘यह बताया गया है कि मौजूदा महामारी की स्थिति को देखते हुए कोविड-19 के लिए टीकाकरण व्यापक जनहित में है।’

मंत्रालय ने कहा, ‘प्रिंट और सोशल मीडिया मंचों के माध्यम से यह सलाह, विज्ञापित और संवाद किया जाता है कि सभी नागरिकों को टीकाकरण करवाना चाहिए और इसकी सुविधा के लिए व्यवस्था और प्रक्रिया तैयार की गई है।’ इसमें कहा गया, ‘हालांकि, किसी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध टीकाकरण के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।’

घर-घर जाकर टीकाकरण के मुद्दे पर, हलफनामे में कहा गया है कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सावधानीपूर्वक, आवश्यकता-आधारित योजना बनाने के लिए मार्गदर्शन प्रदान किया गया है ताकि ब्लॉक या शहरी क्षेत्र में होम वैक्सीन सेंटर (एनएचसीवीसी) की रणनीति बनाई जा सके और दिशानिर्देशों के अनुसार एनएचसीवीसी स्थलों की पहचान की जा सके।

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