सरकार ने आज कहा कि न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति में आरक्षण व्यवस्था नहीं है लेकिन वह चाहती है कि न्यायाधीशों के पदों पर नियुक्ति की सिफारिश के दौरान महिलाओं और अनुसूचित जाति तथा जनजाति के समुदाय के लोगों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरूवार को राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों के स्वीकृत 34 पदों में से चार तथा उच्च न्यायालयों के 1019 पदों में से 83 पर महिला न्यायाधीश हैं।
उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति में आरक्षण व्यवस्था का प्रावधान नहीं है लेकिन सरकार चाहती है कि जब भी कॉलेजियम न्यायाधीशों की नियुक्ति के बारे में सिफारिश करे तो उसे महिलाओं , अनुसूचित जाति तथा जनजाति के लोगों को प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देने के लिए ही सरकार इस तरह की मंशा रखती है।
श्री रिजिजू ने स्पष्ट किया कि साथ ही सरकार का यह भी मानना है कि न्यायाधीश के पद पर नियुक्ति के समय सभी योग्यताओं और कसौटियों पर ध्यान देते हुए उपयुक्त व्यक्ति की ही नियुक्ति की जानी चाहिए।
उन्होंने पटना उच्च न्यायालय में एक भी महिला न्यायाधीश नहीं होने पर अफसोस व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस बारे में पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र भी लिखा गया है।