फ्रांस के ग्रेनोबल शहर ने बीते दिनों सरकारी स्विमिंग पूल में मुस्लिम महिलाओं को बुर्किनी (Burkinis) समेत दूसरे स्विमिंग सूट पहनने की इजाज़त मिल गई थी, इसका खूब विरोध हुआ,

फ्रांस के मंत्री ने कहा है कि वह इस फैसले का विरोध करते हैं और इस नियम को बदल कर रहेंगे. फ्रांस पहले भी बुर्के पर पाबंदी लगा चुका है. फ्रांस के विपक्षी नेताओं का कहना है कि इस तरह के फैसले फ्रांस की पंथ निरपेक्षता के लिए खतरा है.

मेयर एरिक पिओल

ग्रेनोबल के मेयर एरिक पिओल ने ऐलान किया कि सरकारी स्विमिंग पूल में सभी लोग अपनी पसंद के कपड़े पहन सकते हैं. सभी महिलाएं बुर्किनी पहन सकती हैं. अभी तक फ्रांस के सभी राज्यों में महिलाओं के लिए एक पारंपरिक स्विमिंग सूट और पुरुषों के लिए ट्रंक पहनना अनिवार्य था लेकिन अल्पाइन में मेयर ने ये नियम बदल दिया था।

इस फैसले पर वहां खूब हंगामा हुआ, मामला पहले लोअर कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। 21 जून के फैसले में अदालत ने ग्रेनोबल शहर के मेयर के फैसले को रद्द करते हुए बुर्किनी पर बैन को बरक़रार रखा है।

विपक्ष के ऐतराज की वजह
ग्रेनोबल के मेयर एरिक पिओल के ऐलान के बाद ये मामला भड़का है. वह फ्रांस के दिग्गज नेताओं में शामिल हैं. लेकिन उनके इस फैसले के बाद विपक्ष उनका जमकर विरोध करता दिख रहा है.

मेयर पिओल ने जब इस प्रस्ताव को सदन के सामने उठाया तो इसके समर्थन में 29 वोट जबकि इसके विरोध में  27 वोट पड़े. केवल 2 वोटों से इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. मेयर पिओल ने कहा, ‘हम सिर्फ इतना चाहते हैं कि महिलाएं और पुरुष अपनी मर्जी से कपड़े पहन सकें.’

विपक्ष की मांग है
शहर के मेयर की इस घोषणा को गृह मंत्री गेराल्ड डारमैनिन ने अस्वीकार्य और भड़काऊ बताया है. उन्होंने कहा है कि यह फ्रांस के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ है और वह इसे कानूनी तौर पर चुनौती देंगे. 

मामला पहले लोअर कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। 21 जून के फैसले में अदालत ने ग्रेनोबल शहर के फैसले को रद्द करते हुए बुर्किनी पर बैन को बरकरार रखा है। इसके बाद बुर्किनी को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है।

बुर्किनी क्या है

बुर्किनी एक ऐसा फुल बॉडी स्विमसूट है, जिसमें चेहरे, हाथों और पैरों को छोड़कर बाकी सब ढंका रहता है। बुर्किनी शब्द ‘बुर्का’ और ‘बिकिनी’ शब्दों को मिलाकर बना है।

ये ड्रेस काफी हद तक बुर्के से मिलती-जुलती है, लेकिन बुर्के के उलट इसमें चेहरा खुला रहता है। बुर्किनी का इस्तेमाल मुस्लिम महिलाएं काफी हद तक इस्लाम के नियमों के दायरे में रहकर स्विमिंग पूल में नहाने के लिए करती हैं।

अहेदा जानेटी

बुर्किनी को सबसे पहले साल 2004 में लेबनान मूल की एक ऑस्ट्रेलियाई मुस्लिम फैशन डिजाइनर अहेदा जानेटी ने डिजाइन की थी। जानेटी का कहना था कि एक बार मैंने अपनी भतीजी को हिजाब पहनकर नेटबॉल खेलते देखा तो मुझे मुस्लिम लड़कियों के लिए एक ऐसी ड्रेस बनाने का ख्याल आया, जो स्पोर्ट्स के लिहाज से आरामदायक हो।

जो वेस्टर्न लाइफ स्टाइल को अपनाने के साथ ही मुस्लिम लड़कियों की जरूरतों को भी पूरा करती हो। बस यहीं से जानेटी के दिमाग में बुर्किनी का कॉन्सेप्ट आया।

बुर्किनी पर सबसे पहले 2016 में फ्रांस ने बैन लगाया था, इस बैन से पहले ही जानेटी की कंपनी अहिदा दुनिया भर में 7 लाख से ज्यादा बुर्किनी बेच चुकी थी। मुस्लिम महिलाओं के साथ ही ये ड्रेस गैर-मुस्लिमों और कैंसर पीड़ितों के बीच भी काफी लोकप्रिय हुई। जानेटी ने 2016 में Politico को दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि बुर्किनी के करीब 40% खरीदार गैर-मुस्लिम हैं।

फ्रांस ने अपनी धर्मनिरपेक्षता का हवाला देते हुए धार्मिक प्रतीकों के सार्वजनिक इस्तेमाल पर रोक लगा रखी है। फ्रांस में पगड़ी, हिजाब, सिर की टोपी और क्रूसीफिक्स या क्रॉस के निशान जैसे धार्मिक प्रतीकों के स्कूलों और ऑफिसों समेत सार्वजनिक जगहों पर इस्तेमाल पर रोक है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here