दिल्ली के तीनों नगर निगमों (एमसीडी) को एक करने का विधेयक बुधवार को लोकसभा में पारित हो गया।लोकसभा में विधेयक पास होने के बाद अब इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा। विधेयक पर विपक्ष की आपत्तियों का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इस विधेयक को एमसीडी को आत्मनिर्भर बनाने और उसकी सेवाओं को बेहतर करने के लिए लाया गया है। उन्होंने दिल्ली सरकार पर एमसीडी के साथ सौतेला व्यवहार करने और राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा के अनुरूप हिस्सेदारी नहीं देने का आरोप लगाया। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि चूंकि दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश (यूनियन टेरिटरी ) है, इसलिए भारत सरकार को इससे संबंधित कोई भी कानून लाने का पूरा अधिकार है।

आम आदमी पार्टी का दावा है कि बीजेपी चुनाव में हार की डर की वजह से तीनों निगमों को एक करने के बहाने, चुनाव टालने की कोशिश में है तो वहीं बीजेपी ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार, तीनों निगमों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है. AAP नेता और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि अगर एमसीडी चुनाव समय पर हों और आम आदमी पार्टी चुनाव हार जाए तो वह राजनीति छोड़ देंगे।

विधेयक में क्या है?
दिल्ली नगर निगम एकीकरण विधेयक के अनुसार दिल्ली में नगर निगमों के एकीकरण के बाद उनमें सीटों की संख्या 250 से अधिक नहीं होगी और जब तक विलय कानून के तहत निकाय की पहली बैठक आयोजित नहीं होती तब तक इसके कार्य की देखरेख के लिए एक ‘विशेष अधिकारी’ को नियुक्त किया जा सकता है.

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