Authored: Rajni Bhagwat
अपने बारे में कुछ बताइए।
हमारे रीडर्स को मेरा नमस्कार। मैं बेसिकली हरियाणा गुरुग्राम के ब्रह्मपुरी गांव से हूं और हम किसान फैमिली से हैं। हमारी फैमिली में दादा परदादा सात पुश्तों तक सभी पहलवान थे। मेरे फादर भी पहलवान थे। पहलवानी के वजह से दिल्ली पुलिस में हैड कांस्टेबल की नौकरी मिली और वे पहलवानी करते रहें और 18 साल तक उन्होंने दिल्ली पुलिस की नौकरी की। पुलिस के काम से मुम्बई गए थे स्मगलर पकड़ने। वहां पर उनको ‘झुक गया आसमान’ फिल्म में काम मिला। और सेकंड फिल्म हरियाणा की मिली एस ए हीरो। जब वो फिल्म रियली हुई 1973 में तब मैं 10 साल का था और वो फिल्म मैंने 30 बार देखी। और मुझे फ़िल्मों में इंट्रेस्ट आया। और फिर मैंने फादर को बड़ी-बड़ी फ़िल्मों में जैसे ‘शोले’,गौतम गोविंदा और 80 फिल्मों में काम किया। उसके बाद उन्हें काम नहीं मिला मैं उन्हें मुंबई ढूंढने गया ट्रक में बैठकें। मुंबई जाने के बाद उन्होंने मुझे बोला फिल्म लाइन में काम करने का कभी नाम मत लेना। और कहा कि फिल्मों में मैं तुम्हारी मदद नहीं करूंगा। मैने रेडी मेड कपड़ों का काम किया। और फुटपाथ पर बेचा। फिर फादर के दोस्त गुर बच्चन सिंह एयरपोर्ट ने मुझे असिस्टेंट डायरेक्टर लगवाया। मेरे पहले डायरेक्टर थे S K चांद। हमारे पुराने कैमरामैन थे अनिल सहगल उन्होंने मुझे डांटा और गाली दी हरियाणवी फिल्म में और गाली सुनकर मैं काम सीख गया। 3 4 फिल्मों में असिस्टेंट रहने के बाद मुझे कोई काम नहीं मिला कई महीने तक। फिर मैंने अपने फादर से कहा कि आपको सब बड़े बड़े एक्टर डायरेक्टर जानते हैं आप मुझे काम दिलाइए। तब उन्होंने कमाल का जवाब दिया। “मुझे सब जानते हैं पर फिल्म लाइन में कोई किसी की मदद नहीं कर सकता चाहे बाप हो या बेटा हो।” मुझे वह चीज बहुत अच्छी लगी। फिर उसके बाद मैंने हरियाणवी पंजाबी भोजपुरी फिल्में की और उसके बाद मुझे हमारे सीनियर थे एसोसिएट डायरेक्टर पलटू सैन मिले। फिर उन्होंने मुझे ‘Asrani’ जी मिलवाया उनकी वाइफ थी मंजू असरानी और उनके पार्टनर थे सुशील भटनागर। उनके साथ मैंने ‘कशमकश, भूतनाथ, गृह लक्ष्मी का जिन’ और असरानी जी के साथ दो गुजराती फिल्में और हिंदी फिल्म ‘दिल ही तो है’ रेखा जी के साथ ‘उड़ान’, शस्त्र, जख्मी दिल, तिरछी टोपी वाले फिल्म की। फिर मेरा पहला एस ए डायरेक्टर सीरियल ‘हम साथ आठ है’ था, घर वाली ऊपर वाली और सन्नी, फिर भी दिल हैं हिन्दुस्तानी, चिड़िया घर, नीली छतरी वाले। मैंने फिर अपना प्रोडक्शन शुरू किया था एस ए प्रोड्यूस, डायरेक्टर मेरा सीरियल था ‘मुझे मैरी कॉम बनना है’ बनाया इसमें मेरे बेटे ने लीड रोल किया। शॉर्ट फिल्म है रजाई, लाइफ अ सेकेंड चांस और वेबसीरीज जजमेंट और बॉबी।
फिल्म इंडस्ट्री में आने के लिए आपको किसने प्रेरित किया।
प्रेरित नहीं पर मैं अपने फादर को ढूंढने के लिए मुंबई आया था और शोक मुझे 10 साल पहले से ही था बाकी जब यहां आया काम किया स्टेज पर तो समझ आया।
फिल्म इंडस्ट्री में आपको किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
फिल्म इंडस्ट्री के लिए अगर जुनून है और पेशेंस है। 2 साल भी लगते हैं 10 साल भी लगते हैं 15 साल भी लगते हैं और उसके बाद भी काम नहीं होता। लेकिन आपका जुनून है कि मुझे इसी लाइन में काम करना है। सबसे जरूरी है ट्रेनिंग अगर आप 10 साल भी काम कर रहे हैं तो वह भी ट्रेनिंग है। ट्रेनिंग लेकर आते हैं तो भी 5 साल तो लगता ही हैं ऐसा नहीं है की ट्रेनिंग लेकर आने पर ही काम मिल जाएगा।
एक नॉन एक्टर के साथ कहां तक मुश्किल आती है शूटिंग के समय?
नहीं, कोई मुश्किल नहीं आती। अब स्टाफ बढ़ गए हैं एक्टर के साथ भी। पहले तो नहीं आती थी, लेकिन अब आती होंगी।
अपकमिंग प्रोजेक्ट क्या है?
हां, अभी दो फिल्मों पर काम चल रहा है ‘टिकेट’ एक प्रोजेक्ट है ‘3D’ तीन देवदास और एक कहानी मैंने पढ़ी है ‘आठवीं भूतनी’ उस पर भी। ‘जिलेसिंह’ बायोग्राफी पर न्यू प्रोजेक्ट है।
हमारे रीडर्स के लिए कोई मैसेज।
देखिए, अब हर जगह फिल्म बन रही है। तो सबसे पहली चीज है पढ़ाई कंप्लीट होनी चाहिए ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएट जहां तक पढ़ सकते हो। और उसके बाद अगर आपमें टैलेंट है या कि मुझे यही काम करना है तो ट्रेनिंग लो। क्योंकि, ट्रेनिंग के बगैर कुछ नहीं है और जो एक्टिंग लाइन में आना चाहते हैं वे बुक्स पढ़ो। आप किसी भी फील्ड में हो उसमें भी नाम होता है।
शुभकामनाएं