पाकी आधा ईमान है (सही मुस्लिम : 534)

इस्लाम में “सफाई को आधा ईमान” बताया गया है, इसके बावजूद हमारी अधिकतर बस्तियां गंदी होती हैं

अक्सर हमलोग खुद ही कहते है कि हम मुसलमान सफाई नहीं रखते, गंदगी बहुत फै़लाते हैं, रहने का तरीक़ा सही नहीं है वगैराह-वगैराह.

पर क्या वाकई ये सब सच है?

बहुत हद तक सच है क्योंकि हम इस्लाम की तलीमात् से काफी दूर है,

कई हदीसें साबित करती हैं कि पैगंबर मोहम्मद् सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मुसलमानों को एक modern cultured, civilised, prestigious क़ौम के रूप में देखना चाहते थे।

पैगंबर मोहम्मद् सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने कहा:

अल्लाह ख़ूबसूरत है और ख़ूबसूरती से मुहब्बत करता है (सही मुस्लिम)

इस्लाम ने मुसलमानों को सड़कों और गलियों की सफाई बनाए रखने का हुक्म दिया है। क्योंकि अपने आसपास के इलाक़े की गंदगी से साफ रखना भी सदका़ है।

लेकिन अलमिया यह है कि मुसलमान कुरआन और सुन्नत से दूर हो कर cleanliness, purity से भी दूर चले गए हैं। घरों और आस-पड़ोस में गंदगी आम बात है। गंदगी और ग़लाज़त मुस्लिम मोहल्लों की पहचान बन गई है। घर के अंदर और बाहर कूड़े के ढेर, उबलती नालियां, उसी गंदगी के बीच खेलते बच्चे।

ज़रूरत इस बात की है कि मुसलमानों के बीच पाकी और अच्छे अख़लाक़ को बढ़ावा देने के लिए और कु़रआन और हदीस की रोशनी में एक मिसाली मुस्लिम मुआ़शरा बनाने के लिए समाजी और फलाही तंजीमो को अपनी कोशिशो को तेज करने की सख्त ज़रूरत है।

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