Authored : Rajni Bhagwat
1- सर कहते हैं एक ही रात में किस्मत बदल गई, उसके लिए कई रातें जागना पड़ता है, मेहनत करनी पड़ती है। तब एक रात आती है जिसमें किस्मत बदल जाती है, तो आपकी कहानी भी हम कुछ जानना चाहेंगे थोड़ा-सा अपने बारे में कुछ बताइए।
थैंक यू सो मच, पहले तो जो आप यहां पर आई। एक्चुली मेरा जो जन्म हुआ था वो गोवा में हुआ था। पिताजी तब आर्मी में पोस्टेड थे वहां और फिर मैं गोवा से गोपालगंज आ गया गोपालगंज बिहार का एक छोटा सा जिला है और वहां गांव से ही मेरा प्रारंभिक शिक्षा आठवीं तक हुई उसके बाद आठवीं का अचानक से बोर्ड एग्जाम हुआ बिहार में, उस समय बोर्ड एग्जाम में मैं टॉप कर गया गोपालगंज जिला में। फिर मेरे पिताजी मुझे पटना लेकर आ गए। उन्होंने मेरा एडमिशन सीबीसी इंग्लिश मीडियम स्कूल में कराया। जब मैं पटना सीबीसी इंग्लिश मीडियम स्कूल में आया तो मुझे बड़ी दिक्कत हुई। उन 7 महीनो में मैंने काफी स्ट्रगल किया। इंग्लिश में चीजों को समझने के लिए, लेकिन मैं नहीं समझ पाया। मुझे लगता है 7- 8 महीने बाद मैंने अपने पिताजी के पास जाकर सरेंडर किया कि मुझे इंग्लिश नहीं होगी, मैं फेल हो जाऊंगा। मेरे पिताजी को मेरी बात समझ आई और फाइनली मैं वहां से निकाल कर हिंदी मीडियम में आ गया। 12th करने के बाद मैंने इंग्लिश सीखना शुरू किया। उसके आठ – नौ महीने बाद मैंने इंग्लिश सीखना शुरू कर दिया। यहीं से मेरी जिंदगी में बदलाव आया।
2- सर अगर सिद्धांत की बात की जाए तो रिश्ते भी आजकल कमजोर होते जा रहे हैं। चाहे मां-बाप से हो या पति-पत्नी के हो इस पर आपका क्या कहना है?
देखिए, क्या है कि कहीं ना कहीं हर रिश्ते में स्वार्थ होता है और ज्यादातर लोगों के रिश्ते किसी न किसी बेनिफिट से जुड़े होते हैं, तो जब तक इंसान को वह बेनिफिट आपसे मिलता है तब तक ही वह रिश्ता चलता है। जो रिश्ते परिवार के हैं पति-पत्नी के मां-बाप के बच्चों के हैं वह रिश्ते सबसे ज्यादा आपसे विश्वास पर टिकते हैं। तो जब आप शक करेंगे कोई भी रिश्ता कमजोर होगा। बाकी, आजकल का जो रिश्ता है गर्लफ्रेंड-ब्वॉयफ्रेंड एंड ऑल, इस जनरेशन के पास पहले से एक मानसिकता है कि यह मुझे छोड़ सकती/सकता है। वह पहले ही माइंड मेकअप करके इस रिश्ते में आ रहे हैं।
3- आजकल के जो रिश्ते हैं उनमें एगो ज्यादा आ गई है जैसे वह मुझसे बात नहीं करता/करती तो मैं क्यों करूं। पूरा रिश्ता ही खत्म हो जाता है। ऐसी कोई प्रेक्टिस जिसे लोग अपना सके?
रिश्ते में कमिटमेंट होना जरूरी है, आपके पास कमिटमेंट होगा, विश्वास होगा, समझदारी होगी, तब रिश्ते टिकेंगे। रिश्तो की बुनियाद कम्युनिकेशन है, जब कम्युनिकेशन गैप नहीं होता तब जो बातें नहीं भी होती वह भी चलती है। तो, अगर रिश्तो को सच में चलाना है तो बात करना आवश्यक है। यह जो घमंड है अगर वह बात नहीं करेगी/करेगा तो मैं क्यों करूं। हो सकता है, उसे इंतजार हो कि आप बात करें तो मैं बात करूं। तो किसी न किसी को आगे बढ़ना होगा। जब रिश्ता बनावटी है और किसी स्वार्थ पर टिका हुआ है तब घमंड बीच में आता है। वरना किसी इंसान को आप अपने घमंड के लिए नहीं खोना चाहेंगे। पर जब आप किसी से प्रेम करते हैं तो उसमें सम्मान नहीं खोजते हैं। बहुत दिनों के कम्युनिकेशन गैप के बाद मैसेज में एक हाय-हेलो करके भी रिश्ता सुधर सकता है। और अगर उधर से कोई रिप्लाई नहीं आता तो आप समझ सकते हैं कि गैप रखना हैं।
4 – सर आपकी बात करें तो, आप बुक लिखते हैं, तो आपको नहीं लगता कि लोगों कि पढ़ने की आदत काम हो गई है।
सोशल मीडिया के चलते लोगों का दिमाग वीडियो ऑडियो में ज्यादा इंवॉल्व हो गया है बहुत सारे लोग किताबें क्यों नहीं पढ़ पाते। क्योंकि, उनके पास स्मार्टफोन है स्मार्टफोन नहीं होता तो वह किताबें ही पढ़ते। दिमाग को एक नया इंवॉल्वमेंट उसका स्पेस मिल गया है, सोशल मीडिया और स्मार्टफोन। ये रील, वीडियो वो किताबों से ज्यादा रोमांचक है, क्योंकि वह अट्रैक्टिव है। पिक्चर में, वीडियो में, ऑडियो में है। लेकिन, जिसके पास यह समझदारी होगी जो ज्ञान का सोर्स है वह बुक्स थीं, बुक्स हैं, और बुक्स ही रहेंगी। आप कितनी ही वीडियो देख लीजिए वह किताबों के समकक्ष कभी नहीं आ सकती। जो समझदार है वह कोशिश करके दिन में तीन से चार घंटे किताब जरुर पड़ेगा उसको पढ़ना भी चाहिए। मेरे हिसाब से बचपन से ही किताब पढ़ने की आदत बना लेनी चाहिए। मां-बाप को अपने बच्चों को 7वीं, 8वीं से ही किताबें पढ़ने के लिए देनी चाहिए।
शुभकामनाएं