फूड सिक्योरिटी अथॉरिटी ने भारत में ‘मानव दूध’ की बिक्री को ग़ैर-क़ानूनी बता दिया है.

बेंगलुरु की Neolacta Lifesciences Pvt Ltd. मां का दूध (Breast Milk) बेचती है. यह एशिया की पहली कंपनी है जो प्रॉफिट के लिए मां का दूध बेचती है. अब यह विवादों में आ गई है. कई एक्टिविस्ट्स की ओर से आपत्ति जताए जाने के बाद फूड रेगुलेटर भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण यानी एफएसएसएआई (FSSAI) ने यह कहते हुए कंपनी का लाइसेंस कैंसिल कर दिया है कि नियमों के तहत मां के दूध की बिक्री की अनुमति नहीं है.

नियोलैक्टा के एमडी सौरभ अग्रवाल ने बताया कि कंपनी ने पिछले पांच सालों में 450 अस्पतालों में 51 हजार से ज्यादा प्री-मैच्योर बच्चों को फायदा पहुंचाया है.” उन्होंने ये भी बताया के दान किए गए मां के दूध का इस्तेमाल मुख्य रूप से प्री-मैच्योर या बीमार बच्चों को पिलाने के लिए किया जाता है.

Research ने माँ के दूध के अंदर सामान्य दूध से हज़ार गुना ज़्यादा पोषक तत्व बताए हैं। इसमें ज़्यादा ताक़त, विटामिन, मिनरल देने की क्षमता होती है। यह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फंक्शन, इम्यून सिस्टम, न्यूरोडेवलेप्मेट, फिजियोलॉजिकल वेल-बीइंग के लिए बेस्ट होता है।

लेकिन सरकार और ज़्यादा सख्त हो गई और उसने साफ शब्दों में कह दिया है कि ह्यूमन मिल्क या उससे बने उत्पाद को बेचना अवैध होगा.

आपको बता दें की ब्रेस्ट मिल्क को सिर्फ डोनेट किया जा सकता है, इसके बदले किसी भी तरह का पैसा या फायदा नहीं लिया जा सकता। डोनर ह्यूमन मिल्क की बिक्री नहीं की जा सकती है और ना ही कर्मशियल यूज़ कर सकते हैं।

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