दंड प्रक्रिया (शिनाख्त) विधेयक 2022 (Criminal Procedure (Identification) Bill, 2022) लोकसभा में सोमवार को ध्वनिमत से पारित हो गया।
गृह मंत्री अमित शाह ने विधेयक पर चर्चा के जवाब में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि आतंकवाद निरोधी कानून (पोटा) देश हित का कानून था लेकिन वोटबैंक और तुष्टीकरण की राजनीति के चलते इसे तत्कालीन सरकार ने वापस ले लिया।
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) वोट बैंक की चिंता नहीं करती, बल्कि हम राजनीति में देश को सुरक्षित करने और देश को आगे ले जाने के लिए आये हैं।
उन्होंने कहा कि जब भाजपा विपक्ष में थी तब कांग्रेस नेतृत्व की सरकार गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम ( यूएपीए) और राष्ट्रीय जांच एजेंसी लेकर आयी। भाजपा ने विपक्ष में रहने के बावजूद देश की सुरक्षा के मद्देनजर इसका समर्थन किया।
श्री शाह ने सदन को आश्वस्त किया कि दंड प्रक्रिया (शिनाख्त ) विधेयक में डाटा का दुरुपयोग नहीं होगा, न ही इस विधेयक के प्रावधान में किसी दुरुपयोग की आशंका है। इससे निजता के अधिकार का उल्लंघन होने की कोई आशंका नहीं है।
उन्होंने कहा कि किसी अपराध के दोष सिद्धि में प्रमाण के लिहाज़ से यह ज़रूरी है। इससे गुनाहगारों को पकड़ने में मदद मिलेगी और उन्हें सजा दिलाकर समाज में कठोर संदेश जाएगा। इससे आपराधिक न्याय व्यवस्था मजबूत होगी और तकनीक की मदद से देश की आंतरिक सुरक्षा और मजबूत होगी।
श्री शाह ने कहा कि बंदी शिनाख्त अधिनियम 1920 को निरस्त कर बदला गया यह विधेयक समय और विज्ञान की दृष्टि से आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अदालतों में दोष सिद्धि के लिए जिस तरह के नतीजे चाहिए, उन्हें उपलब्ध कराने और कानून को लागू करने वाली एजेंसियों की ताकत बढ़ाने में यह विधेयक आज के समय की ज़रूरत है।
गृह मंत्री ने कहा कि सरकार जेल के कैदियों के लिए एक आदर्श नियमावली से संबंधित विधेयक तैयार कर रही है, जिसका प्रारूप राज्य सरकारों को भेजा जाएगा ।

क्या है बिल: दोष‍ियों की ‘डिजिटल कुंडली’: कैसा है अपराधियों की आंखों से लेकर के पैरों के प्रिंट्स तक का रिकॉर्ड रखने वाला नया बिल

एक क्‍ल‍िक पर अपराधियों की कुंडली देखी जा सकेगी. इसके लिए सोमवार को केंद्र सरकार ने लोकसभा (Lok Sabha) में दंड प्रक्रिया (पहचान) विधेयक-2022 (Criminal Procedure (Identification) Bill, 2022) पेश किया था. बिल कहता है कि किसी भी मामले में गिरफ्तार या दोषसिद्ध अपराधियों का रिकॉर्ड (Criminal Record)  रखने में अत्‍याधुनिक तकनीक का इस्‍तेमाल किया जाएगा. यह बिल कई मायनों में खास है क्‍योंकि अब तक आरोपियों का रिकॉर्ड रखने के लिए पुलिस फिंगरप्रिंट (Fingerprint) और पैरों के निशान लेती थी लेकिन जल्‍द ही आंखों की पुतलियों के प्रिंट से लेकर उनकी लिखावट तक के नमूने तक लिए जाएंगे. अपराधियों की डिजिटल कुंडली तैयार होगी.

  1. केंद्र सरकार ने इस नए बिल को 102 साल पुराने मौजूदा कानून की जगह पेश किया है. अब तक पुलिस केवल अपराधियों का रिकॉर्ड रखने के लिए फिंगरप्रिंट और पैरों के निशान लेती थी, लेकिन नए बिल के जरिए इन पर शिकंजा कसा जाएगा. नए बिल के तहत अब अपराधियों की आंखों का प्रिंट लिया जाएगा. इसके अलावा हथेली और पैरों की छाप, फोटो, बायोलॉजिकल सैम्‍पल और लिखावट के नमूने भी लिए जाएंगे. आसान भाषा में समझें तो डिजिटली इनकी पहचान पुलिस के पास होगी.
  2. बिल से एक बात साफ है कि केंद्र सरकार अपराधियों से जुड़ी हर वो जानकारी ड‍िटिजली स्‍टोर करना चाहती है जो उन्‍हें पकड़ने और पहचानने में मदद करेगी. पूरा डाटा डिजिटल रिकॉर्ड में शामिल होने पर एक क्लिक पर अपराधियों की हर जरूरी जानकारी सामने आ जाएगी. केंद्र सरकार का मानना है अपराधियों का ज्‍यादा ब्‍यौरा सामने होने पर सजा सुनाने के काम में तेजी आएगी.
  3. बिल में बताई गईं बातों का रिकॉर्ड रखते समय अगर कोई अपराधी या दोषी इंकार करता है तो सजा और जुर्माना दोनों लगाया जा सकता है. बिल के मुताबिक, जांच से मना करने पर दोषी को तीन महीने की सजा या 500 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है. या फिर दोनों ही हो सकता है.
  4. बिल पेश करते हुए गृह राज्‍य मंत्री अजय मिश्रा टेनी ने कहा, बिल से जांच एजेंसियों को मदद मिलेगी. वहीं, लोकसभा में इस बिल का विरोध भी किया गया. कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, यह बिल अनुच्‍छेद 20 और 21 का उल्‍लंघन है. वहीं, आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने कहा, अगर मेरे खिलाफ कोई मामला सामने आता है तो मेरा DNA जांचा जाएगा, इसका क्‍या मतलब है? 
  5. इस बिल को लेकर कांग्रेस, टीएमसी, आरएसपी, बीएसपी जैसे राजनीतिक दलों ने विरोध किया. उनके विरोध के बाद वोटिंग कराने की नौबत आई. विपक्ष की मांग पर हुई वोटिंग में विरोधी 58 मतों के मुकाबले पक्ष में आए 120 मतों के आधार पर सदन में इस पेश करने की मंजूरी दी गई।

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