पुरानी दिल्ली के आज़ाद मार्केट चौक के विकास कार्यों की ज़मीनी हक़ीक़त ये रोड बयां कर रही है। यहां पर यह पता ही नहीं चल पा रहा है कि सड़क पर गढ्ढ़ा है, या फिर गड्ढ़ों में सड़क है।
दिल्ली में बारिश का मौसम आगया है और मॉनसून की कल पहली बारिश हो चुकी है और गर्मी की छुट्टियों के बाद आज से स्कूल भी शुरू हो गए, लेकिन इन पानी से भरे गड्ढ़ों की वजह से आम जनता और बच्चों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।
ऐसी सड़के बड़े हादसे को दावत दे रही है, समय रहते स्थानीय प्रशासन और संबंधित अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई, तो बारिश के मौसम में यह लोगों के लिए बड़ी मुसीबत साबित हो सकती है
आज़ाद मार्केट चौक, बोहोत एहम चौराहा है जो दिल्ली यूनिवर्सिटी, कमला नगर, तीस हज़ारी, कश्मीरी गेट, करोल बाग, शास्त्री नगर, गुलाबी बाग, सदर बाज़ार, और पहाड़ गंज जैसे बड़े इलाक़ों को जोड़ता है।
इलाक़े के चश्मदीद का कहना है की ये सड़क के महीनों से ऐसे ही हालत में है, इसको वक़्त पे ठीक नहीं किया गया, जिससे वहां पर पड़े छोटे-छोटे गढ्डे बड़े हो चुके हैं। दिन के समय तो वाहन चालक इनसे बचबचा कर आवागमन तो कर लेते है, मगर रात के वक़्त यह बेहद मुश्किल भरा होता है। एक बार सड़कें टूट जाती है तो कई सालों तक दोबारा बनती ही नहीं,
करोड़ों की लागत से बनाई गई इन सड़कों की हो रही हालत पर न तो किसी की जबावदेही तय हो रही और न कोई कार्यवाई, ऐसे में सड़क व गलियों के बनाते समय में जो अधिकारी इन्हें पास करते है, उनकी जबावदेही तय कर उनसे ही इन सड़कों की दुर्दशा की भरपाई की जानी चाहिए।