(वार्ता) सरकार विरोधी प्रदर्शन जारी रहने और ‘रानिल वापस जाओ’ नारों के बीच श्री रानिल विक्रमसिंघे ने गुरुवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति पद की शपथ ली।

अपने पांच दशक के राजनीतिक सफर में विक्रमसिंघे पहली बार राष्ट्रपति पद संभाला हैं। इससे पहले वो रिकॉर्ड 6 बार प्रधानमंत्री चुने गए हैं।
संसद के अंदर मुख्य न्यायाधीश जयंत जयसूर्या ने श्री विक्रमसिंघे को शपथ दिलाई। उन्हें संसद सदस्यों ने बुधवार को कार्यकारी राष्ट्रपति चुना था। इससे पहले श्री गोटाबाया राजपक्षे ने 14 जुलाई को इस्तीफा दिया था।
उल्लेखनीय है कि श्री विक्रमसिंघे के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद भी प्रदर्शनकारियों ने अपना विरोध जारी रखा है और राष्ट्रपति सचिवालय को अपने क़ब्ज़े मे रखने का फैसला लिया है।
फादर जीवन्ता पीरिस ने कहा, “ आज की संसद ने साबित कर दिया कि वे लोगों के साथ नहीं हैं। जनविरोधी शासक की नियुक्ति के बावजूद विरोध जारी है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उनका आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक संकट को खत्म करने का लक्ष्य है। ”
उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति भवन के सामने एकत्र हुए और ‘वापस जाओ, रानिल’ के नारे लगाए।
श्री विक्रमसिंघे ने अपने शपथ समारोह के दौरान संसद को संबोधित करते हुए कहा कि कुछ महीने पहले देश में जो हालात पैदा हुए हैं, वे दोबारा न हों, इसलिए सभी को एकजुट होकर आगे बढ़ना चाहिए।
उन्होंने कहा, “ देश की जनता हमसे एकजुट होकर काम करने की उम्मीद करती है। ”

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